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जीवन में चाहते हैं अच्छे बदलाव तो बस करें ये छोटा सा काम, बदल जाएगी जिंदगी की सूरत

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जीवन में चाहते हैं अच्छे बदलाव तो बस करें ये छोटा सा काम, बदल जाएगी जिंदगी की सूरत

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास खुद के लिए सोचने का वक्त ही नहीं है । हर कोई एक दूसरे से
आगे निकलने की होड़ में भागता जा रहा है। लेकिन इन सब में आपकी सेहत, दोस्त और परिवार का साथ कहीं दूर पीछे छूट जाता है। ऐसे में जब आप अपने मंजिल के नजदीक पहुंच कर पीछे मुड़कर देखतें हैं कि ऑफिस में एक प्राइवेट कैबिन और अच्छी सोसाइटी में बड़े से फ्लैट के अलावा साथ में कोई अपना नहीं खड़ा है। सोसाइटी की पार्किंग में लंबी सी कार भी खड़ी है लेकिन लॉन्ग ड्राइव पर जाने के लिए दोस्तों का साथ नहीं है।

आलिशान घर तो है लेकिन माँ-बाप, भाई बहन अब भी दूर शहर के एक छोटे से कमरे में रह रहे हैं। जेब में पासपोर्ट और पेरिस की टिकट तो है लेकिन उस साथी का हाथ नहीं जिसे पकड़कर कॉलेज के बाद एक लंबा रास्ता तय करते थे। ऐसे में इंसान के पास सबकुछ होने के बाद भी उनके अंदर एक खालीपन रह जाता है। वक्त के साथ अंदर का ये अकेलापन इतना बढ़ जाता है कि वो इन सभी सुख सुविधाओं से उकताने लग जाता है.

नतीजन, जिस चकचौंध के लिए इंसान आधा जीवन भागता रहा था उसी से दूर-दूर भागते भागते एक घने अँधेरे कमरे में खुद को कैद कर लेता है। धीरे-धीरे यही अकेलापन उसके अंदर डिप्रेशन जैसी बीमारी पैदा कर देती है। ऐसे में उस इंसान के पास डिप्रेशन के सामने दो ही ऑप्शन रह जाता है या तो उसके सामने समर्पण कर दें या इससे जीत जाए। आज के समय में लोग तेजी से डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

हमने यहां एक सम्पूर्ण व्यक्ति का उदाहरण दिया है जिससे आप सब समझ सकें की जीवन में केवल भौतिक सुख से ही मन की शांति नहीं मिलती है। जबकि आधी आबादी इसी के पीछे भाग रही है। उन्हें लगता है पैसा ही दुनिया की सभी ख़ुशियाँ दे सकता है। लेकिन आप ऊपर के उदाहरण से हकीकत समझ सकते हैं। आप चाहे तो कभी आंकड़ों पर भी गौर करियेगा - आत्महत्या का कारण अकेलापन ही अधिक होता है।

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दुनिया भाग रही है तो भागने दीजिये आप उस रेस से कदम पीछे कर लीजिये। जिंदगी में खरगोश नहीं कछुआ बनिए जो धीमी गति से ही, पर ख़ुशी-ख़ुशी अपनी मंजिल पर पहुंचता है। छोटी-छोटी खुशियों को सेलिब्रेट कीजिये तभी बड़ी खुशियों को जी पाएंगे। सुबह-सुबह उड़ने वाली उन छोटी चिड़िया सबको देखिये जो इस उम्मीद से घोंसला से निकली है कि आज भर पेट दाना खाकर और लेकर भी आएँगी । दाने की चाह उसे बिना थकाए पूरा आसमां नपा देती है । स्कूल जाते उन बच्चों को गौर से देखिये जो अपने मासूम आँखों में ख्वाब लेकर जागते हैं। उम्मीदों का सूरज बनने के लिए अपने अंदर के तेज को बरकरार रखना पड़ता है। सकरात्मक सोच ही आपको अपनी मंजिल तक पहुंचती है. अब ये मंजिल जीवन खुशनुमा बनाने का हो या अपने किसी सपने को पूरा करने का ।

ईश्वर ने इस सृष्टि का निर्माण बड़ी खूबसूरती के साथ किया है। प्रकृति ने किसी भी इंसान में कोई भेदभाव नहीं किया है। यही वजह है हर इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है। सुविधा का आभाव हमारी सफलता में बाधा तो डाल सकती है लेकिन प्रतिभा को नहीं हरा सकती है। मन की शक्ति और दृष्टिकोण से व्यक्ति अपने नजर में एक सफल व्यक्तित्व वाला इंसान बन सकता है। इसके लिए सबसे पहले हमें अपने आचरण में बदलाव की जरूरत है क्योंकि हम जैसा सोचते है वैसा ही खुद को समझने लगता हैं। हमारा नकरात्मक नज़रिया दिनों दिन हमें एक गिल्ट में डाल देता हैं।

खुद को सकरात्मक रखने के लिए इन उपायों को अपनाएं:

  • नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूर रहें ।
  • हर रोज सुबह या शाम में योग करें या फिर 15-20 मिनट के लिए भी ध्यान लगाएं।
  • जो भी कुछ आपको अच्छा मिला है उसके लिए कृतज्ञता का भाव रखें।
  • अपनी काबिलियत को कभी नहीं भूलें, खुद पर विश्वास करना सीखें ।
  • हर समस्या का अपना एक दौर होता है जो जीवन में कभी न कभी आता है और वो बीत भी जाता है।
  • किसी बुरे दौर से गुजरने वाले हर व्यक्ति को पता होना चाहिए की जीवन में जहां बुराई है, वहां अच्छाई भी है।
  • हर दौर को अगर अपने जीवन का एक अनुभव मानकर चलें तो नकारात्मक विचार का प्रभाव कम पड़ता है।
  • ईश्वर अपने हर बच्चे के साथ होता है इसलिए ये मानकर चले की ईश्वर आपके साथ हैं और आपका बुरा कभी नहीं होने देंगें।
  • I can and I will’ थ्योरी को अपने जीवन का मूल मंत्र मान लें।

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