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कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन में ला देता उथल-पुथल, जानें इससे बचाव के उपाय और लक्षण

काल सर्प दोष क्या है ?

कई बार हम अपने जीवन में खूब मेहनत करते हैं लेकिन इसके बावजूद सफलता हाथ नहीं लगती। दरअसल, इसके पीछे का असल कारण हमारे ग्रह नक्षत्र और कुंडली में मौजूद दोष होते हैं । आमतौर पर शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया, मंगल दोष और पितृ दोष के बारे में तो बहुत से लोग जानते हैं लेकिन काल सर्प दोष से अधिकतर लोग अनजान हैं। कालसर्प योग के कारण लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, कालसर्प दोष के कारण बने बनाए काम बिगड़ने लगते हैं, ऐसे में आज हम आपको काल सर्प दोष के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिसमें लक्षण से लेकर उपाय भी जानेंगे।

कुंडली में कैसे आता है काल सर्प दोष ?

कुंडली में कालसर्प योग का निर्माण तब होता है, जब राहु और केतु 180 डिग्री पर आमने-सामने होते हैं, साथ ही बाकी 7 ग्रह इनके एक तरफ हो जाएं । वैदिक ज्योतिष में 12 प्रकार के कालसर्प योग बताए गए हैं, राशियों के आधार पर 12 लग्न होते हैं और इनके कई योगों को देखा जाए, तो इनसे मिलकर 288 प्रकार के कालसर्प योग बन सकते हैं ।

काल सर्प दोष के 6 लक्षण

  • सपने में सांप का दिखना
  • मानसिक तनाव
  • सही निर्णय न ले पाना
  • अशांत पारिवारिक माहौल
  • तनाव पूर्ण वैवाहिक जीवन
  • अत्यधिक परिश्रम के बाद भी कार्यों में मन मुताबिक सफलता न पाना
Kaal Sharp Dosh

काल सर्प दोष के 6 लक्षणों का महत्व और रहस्य

1. सपने में अकसर सांप का दिखना - हर सपने का एक मतलब होता है ठीक इसी तरह अगर आप अकसर नींद में साँपों को देखते हैं तो सावधान हो जाइये। ये सर्प दोष की ओर इशारा कर सकता है। अगर आपको सपने में सांप दिख रहा है तो एक बार ज्योतिषी से अपनी कुंडली जरूर दिखवा लें।

2. मानसिक तनाव - आजकल के भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो चुका है, लेकिन अगर आप छोटी-छोटी बातों पर भी चिड़चिड़ापन और तनाव पूर्ण महसूस कर रहे हैं तो ये लक्षण भी सर्प दोष की ओर संकेत कर सकता है ।

3. सही निर्णय न ले पाना - कई बार चीजें स्पष्ट होने के बाद भी कालसर्प दोष से ग्रसित व्यक्ति सही फैसला नहीं ले पाता है । अगर आपके साथ भी यह लक्षण महसूस हो रहा है तो आप भी काल सर्प दोष से ग्रसित हो सकते है ।

4. अशांत पारिवारिक माहौल - 4यदि आपके परिवार में अकसर कलह होती रहती है और अशांति का माहौल है तो ये भी काल सर्प दोष के लक्षण है। ऐसे में अपनी ग्रहों की ज्योतिष गणना जरूर करवा लें।

4. अशांत पारिवारिक माहौल - 4यदि आपके परिवार में अकसर कलह होती रहती है और अशांति का माहौल है तो ये भी काल सर्प दोष के लक्षण है। ऐसे में अपनी ग्रहों की ज्योतिष गणना जरूर करवा लें।

5. तनाव पूर्ण वैवाहिक जीवन - यदि किसी घर में पति-पत्नी के बीच छोटी-मोटी बातों को लेकर लगातार झगड़े हो रहे हैं तो ऐसी स्थिति में थोड़ा ठहरकर विचार करना चाहिए कि आखिर किन कारणों से ऐसी स्थिति पैदा हो रही है। सही समय पर यदि आप ज्योतिषीय सलाह लेंगे तो आपका वैवाहिक जीवन भी खुशहाल हो सकता है।

6. मन मुताबिक सफलता न पाना - कई बार हम किसी चीज को पाने के लिए जी जान से मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी हमें उतनी सफलता नहीं मिलती है जिसके हम काबिल हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा ही हो रहा है तो यह काल सर्प दोष के लक्षण हो सकते हैं।

काल सर्प दोष का सरल समाधान

काल सर्प दोष आपके जीवन को उथल पुथल कर सकता है, वैसे तो इसका निवारण पौराणिक विधि से हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे पार्थिव शिवलिंग बनाकर उन्हें अनेक प्रकार के सुगंधित पुष्पों से सजाकर षोडश उपचार पूजन, रुद्राभिषेक, यज्ञ किया जाता है। इसमें शुद्ध चाँदी के 108 जोड़ी नाग-नागिन पूजन उपरांत गंगा जी में विसर्जित किए जाते है साथ ही आवश्यक काल सर्प दोष निवारण के रत्न भी गंगा जी में विसर्जित किए जाते है । 216 महत्वपूर्ण रत्न और 216 चाँदी के नाग नागिन, और वैदिक पूजन की वस्तुएँ गंगा जी में ही अर्पित किए जाते है। यह आप इस प्रकार की पौराणिक विद्धिवत पूजा पाठ किसी आर्थिक समस्या के कारण करवाने में असमर्थ हैं तो आप निम्नलिखित उपाय भी कर सकते है, ये भी आपको मदद करेंगे:

  • भगवान शिव की प्रतिदिन पूजा और अर्चना से दूर किया जा सकता है। साथ ही शिव पंचाक्षर स्तोत्र या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
  • शिव मंदिर में राहु काल में राहु ग्रह की पूजा करने से भी कालसर्प योग से मुक्ति मिल सकती है।
  • श्रावण (सावन) के महीने में भगवान शिव का रुद्राभिषेक विद्वान ब्राह्मण की द्वारा करवायें, इससे आपको कालसर्प दोष से छुटकारा मिल सकता है।
  • चांदी के बने नाग नागिन की विधिपूर्वक पूजा करें, फिर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। परंतु ये भी विधिवत रूप से विद्वान ब्राह्मण द्वारा ही करना चाहिए।
  • भगवान श्रीकृष्ण की मोर पंख वाली मूर्ति की प्रतिदिन पूजा करें।
  • कालसर्प दोष निवारण के लिए राहु की शांति का उपाय रात में करें।
  • प्रयागराज में तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से भी कालसर्प योग का निवारण होता है।
  • महाशिवरात्रि, नाग पंचमी, ग्रहण आदि के दिन शिवालय में नाग नागिन का चांदी या तांबे का जोड़ा अर्पित करें।
  • रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करने से भी कालसर्प दोष को दूर किया जा सकता है ।
  • कुंडली में कालसर्प दोष को दूर करने के लिए शिवलिंग पर तांबे का एक बड़ा सर्प बनवाकर चढ़ाएं ।
  • कालसर्प दोष को दूर करने के लिए नाग की पत्थर की प्रतिमा बनवाएं और किसी शिवालय में प्राण प्रतिष्ठा करवाएं ।

काल सर्प दोष के प्रकार

किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में 12 मुख्य प्रकार के कालसर्प दोष इस प्रकार के है:
  • अनंत कालसर्प योग
  • कुलिक कालसर्प योग
  • वासुकी कालसर्प योग
  • शंखपाल कालसर्प योग
  • पद्म कालसर्प योग
  • महापदम कालसर्प योग
  • तक्षक कालसर्प योग
  • कर्कोटक कालसर्प योग
  • शंखनाद कालसर्प योग
  • पातक कालसर्प योग
  • विषधर कालसर्प योग
  • शेषनाग कालसर्प योग
Kaal Sarp Dosha explained Vedic Astrology काल सर्प दोष

जीवन में चाहते हैं अच्छे बदलाव तो बस करें ये छोटा सा काम, बदल जाएगी जिंदगी की सूरत

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास खुद के लिए सोचने का वक्त ही नहीं है । हर कोई एक दूसरे से
आगे निकलने की होड़ में भागता जा रहा है। लेकिन इन सब में आपकी सेहत, दोस्त और परिवार का साथ कहीं दूर पीछे छूट जाता है। ऐसे में जब आप अपने मंजिल के नजदीक पहुंच कर पीछे मुड़कर देखतें हैं कि ऑफिस में एक प्राइवेट कैबिन और अच्छी सोसाइटी में बड़े से फ्लैट के अलावा साथ में कोई अपना नहीं खड़ा है। सोसाइटी की पार्किंग में लंबी सी कार भी खड़ी है लेकिन लॉन्ग ड्राइव पर जाने के लिए दोस्तों का साथ नहीं है।

आलिशान घर तो है लेकिन माँ-बाप, भाई बहन अब भी दूर शहर के एक छोटे से कमरे में रह रहे हैं। जेब में पासपोर्ट और पेरिस की टिकट तो है लेकिन उस साथी का हाथ नहीं जिसे पकड़कर कॉलेज के बाद एक लंबा रास्ता तय करते थे। ऐसे में इंसान के पास सबकुछ होने के बाद भी उनके अंदर एक खालीपन रह जाता है। वक्त के साथ अंदर का ये अकेलापन इतना बढ़ जाता है कि वो इन सभी सुख सुविधाओं से उकताने लग जाता है.

नतीजन, जिस चकचौंध के लिए इंसान आधा जीवन भागता रहा था उसी से दूर-दूर भागते भागते एक घने अँधेरे कमरे में खुद को कैद कर लेता है। धीरे-धीरे यही अकेलापन उसके अंदर डिप्रेशन जैसी बीमारी पैदा कर देती है। ऐसे में उस इंसान के पास डिप्रेशन के सामने दो ही ऑप्शन रह जाता है या तो उसके सामने समर्पण कर दें या इससे जीत जाए। आज के समय में लोग तेजी से डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

हमने यहां एक सम्पूर्ण व्यक्ति का उदाहरण दिया है जिससे आप सब समझ सकें की जीवन में केवल भौतिक सुख से ही मन की शांति नहीं मिलती है। जबकि आधी आबादी इसी के पीछे भाग रही है। उन्हें लगता है पैसा ही दुनिया की सभी ख़ुशियाँ दे सकता है। लेकिन आप ऊपर के उदाहरण से हकीकत समझ सकते हैं। आप चाहे तो कभी आंकड़ों पर भी गौर करियेगा - आत्महत्या का कारण अकेलापन ही अधिक होता है।

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दुनिया भाग रही है तो भागने दीजिये आप उस रेस से कदम पीछे कर लीजिये। जिंदगी में खरगोश नहीं कछुआ बनिए जो धीमी गति से ही, पर ख़ुशी-ख़ुशी अपनी मंजिल पर पहुंचता है। छोटी-छोटी खुशियों को सेलिब्रेट कीजिये तभी बड़ी खुशियों को जी पाएंगे। सुबह-सुबह उड़ने वाली उन छोटी चिड़िया सबको देखिये जो इस उम्मीद से घोंसला से निकली है कि आज भर पेट दाना खाकर और लेकर भी आएँगी । दाने की चाह उसे बिना थकाए पूरा आसमां नपा देती है । स्कूल जाते उन बच्चों को गौर से देखिये जो अपने मासूम आँखों में ख्वाब लेकर जागते हैं। उम्मीदों का सूरज बनने के लिए अपने अंदर के तेज को बरकरार रखना पड़ता है। सकरात्मक सोच ही आपको अपनी मंजिल तक पहुंचती है. अब ये मंजिल जीवन खुशनुमा बनाने का हो या अपने किसी सपने को पूरा करने का ।

ईश्वर ने इस सृष्टि का निर्माण बड़ी खूबसूरती के साथ किया है। प्रकृति ने किसी भी इंसान में कोई भेदभाव नहीं किया है। यही वजह है हर इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है। सुविधा का आभाव हमारी सफलता में बाधा तो डाल सकती है लेकिन प्रतिभा को नहीं हरा सकती है। मन की शक्ति और दृष्टिकोण से व्यक्ति अपने नजर में एक सफल व्यक्तित्व वाला इंसान बन सकता है। इसके लिए सबसे पहले हमें अपने आचरण में बदलाव की जरूरत है क्योंकि हम जैसा सोचते है वैसा ही खुद को समझने लगता हैं। हमारा नकरात्मक नज़रिया दिनों दिन हमें एक गिल्ट में डाल देता हैं।

खुद को सकरात्मक रखने के लिए इन उपायों को अपनाएं:

  • नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूर रहें ।
  • हर रोज सुबह या शाम में योग करें या फिर 15-20 मिनट के लिए भी ध्यान लगाएं।
  • जो भी कुछ आपको अच्छा मिला है उसके लिए कृतज्ञता का भाव रखें।
  • अपनी काबिलियत को कभी नहीं भूलें, खुद पर विश्वास करना सीखें ।
  • हर समस्या का अपना एक दौर होता है जो जीवन में कभी न कभी आता है और वो बीत भी जाता है।
  • किसी बुरे दौर से गुजरने वाले हर व्यक्ति को पता होना चाहिए की जीवन में जहां बुराई है, वहां अच्छाई भी है।
  • हर दौर को अगर अपने जीवन का एक अनुभव मानकर चलें तो नकारात्मक विचार का प्रभाव कम पड़ता है।
  • ईश्वर अपने हर बच्चे के साथ होता है इसलिए ये मानकर चले की ईश्वर आपके साथ हैं और आपका बुरा कभी नहीं होने देंगें।
  • I can and I will’ थ्योरी को अपने जीवन का मूल मंत्र मान लें।

सूतक और पातक

क्या होता है हिन्दू धर्म में सूतक और पातक ?

सूतक और पातक काल के दौरान भूलकर भी न करें ये काम, जानें क्या है नियम ?

शास्त्रों में हमारे लिए कई नियम और कानून बनाए गए हैं, जिसे लोग अपना जीवन बेहतरीन बना सकते हैं। अब तो वैज्ञानिक भी शास्त्रों में छुपी बातों पर यकीन करने लगे है और इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। आज हम आपको शास्त्रों के दो महत्वपूर्ण विधान सूतक और पातक के बारे में बताएंगे, जिसका पालन करना हर व्यक्ति के लिए काफी जरूरी होता है। आप सब देखते होंगे कि जब किसी घर में बच्चे का जन्म होता है तो मां और बच्चे को अलग कमरे में रखा जाता है, जहां हर किसी को नहीं जाने दिया जाता है। दरअसल, जब किसी परिवार में बच्चे का जन्म होता है तो उसे घर में सूतक लग जाता है। सूतक का यह समय पूरे दस दिन का होता है, इस दौरान परिवार के सदस्य धार्मिक गतिविधियां में भाग नहीं ले सकते हैं। साथ ही बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री के लिए रसोईघर में जाना और दूसरा कोई काम करने की भी मनाही होती है। ऐसा तब तक रहता है जब तक की घर में हवन न हो जाए।

वहीं जब कोई परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उस घर में 'पातक' लग जाता है। गरुड़ पुराण के मुताबिक, परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर लगने वाले सूतक को ' पातक' कहते हैं। इसमें परिवार के सदस्यों को उन सभी नियमों का पालन करना होता है, जो सूतक के समय किया जाता है। पातक में विद्वान ब्राह्मण को बुलाकर गरुड़ पुराण का वाचन करवाया जाता है।

सूतक और पातक

ध्यान दें कि सूतक और पातक का सिर्फ धार्मिक कर्मकांड नहीं है बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। जब कोई परिवार में किसी बच्चे का जन्म या किसी सदस्य की मृत्यु होती है तो वहां संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में अस्पताल या शमशान या घर में नए सदस्य के आगमन, किसी सदस्य की अंतिम विदाई के बाद घर में संक्रमण का खतरा गहराने लगता है। इसलिए कई तरह की सावधानी बरती जाती है।

सूतक और पातक दोनों प्रक्रिया बीमारियों से बचने के उपाय है, जिसमें घर और शरीर की शुद्धि की जाती है। 'सूतक' और 'पातक' की अवधि समाप्त होने के बाद घर में हवन कर वातावरण को शुद्ध किया जाता है। पूजा-पाठ और हवन से हमारे घर का वातावरण ठीक हो जाता है साथ ही शुद्ध हो जाता है। हवन से हमारे घर में मौजूद सभी बैक्टेरिया भी मर जाते हैं. इसके साथ ही सूतक की समाप्ति हो जाती है। वहीं अगर सूतक के पहले घर में खाना तैयार कर लिया गया है तो उसमें तुलसी के पत्ते डालकर उसे प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।

सूतक पातक की अवधि क्या है?

हर वर्ग के लिए सूतक और पातक कल की अवधि है अलग

शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मण को दस दिन का, क्षत्रिय को बारह दिन का, वैश्य को पंद्रह दिन का और शूद्र को एक महीने का सूतक लगता है लेकिन विशेष परिस्थितियों में चारों वर्णों की शुद्धि दस दिनों में ही हो जाती है। इसे शारीरिक शुद्धि कहते हैं इसके पश्चात किसी भी तरह का छुआछूत दोष नहीं रहता और त्रयोदश संस्कार के बाद पूर्ण शुद्धि हो जाती है। अतः परिवार में देवताओं की पूजा-आराधना इसके पश्चात ही की जाती है जिसमें स्थित सर्वप्रथम भगवान विष्णु की पूजा अथवा सत्य नारायण कथा का श्रवण अनिवार्य रूप से किया जाता है।

सूतक-पातक को क्यों माना जाता है ?

जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष या पाप के प्रायश्चित स्वरूप सूतक माना जाता हैं। पातक का सम्बन्ध मरण के निर्मित से हुई अशुद्धि से है। मरण के अवसर पर दाह-संस्कार में इत्यादि में जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष या पाप के प्रायश्चित स्वरूप पातक माना जाता है।

सूतक के नियम (सूतक काल में क्या करें ?)

  • सूतक और पातक की अवधि में दूसरे लोगों को छूने से बचें
  • कोई भी धार्मिक और मांगलिक कार्य न करें
  • किसी सामाजिक कामों में हिस्सा न लें
  • दूसरों के घर न जाएं और न ही बेवजह भ्रमण करें
  • सूतक काल में भूलकर भी विवाह नहीं करना चाहिए
  • भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए
  • सूतक काल में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य और परिवार के सदस्यों के लिए श्रृंगार आदि करना वर्जित माना गया है।